हम में से ज्यादातर लोग, असफल होने पर इतने निराश हो जाते हैं कि हार मान लेते हैं। उन्हें लगता हैं कि ऐसा उनके साथ ही क्यों हुआ? लेकिन हमें यह समझना होगा कि सफलता तक पहुँचने का रास्ता असफलता की गलियों से ही गुजरता हैं| दुनिया में कोई भी सफल व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसने असफलता का सामना न किया हो | अगर विश्वास न हो तो विश्व के इन सफल व्यक्तियों की असफलताओं की कहानी पढ़िए -

हेनरी फोर्ड

फोर्ड मोटर कंपनी आज विश्वविख्यात है। इस कंपनी को उसका नाम संस्थापक हेनरी फोर्ड के नाम से मिला है, जो अमेरिका के सबसे बड़े उद्योगपति में से एक थे। लेकिन हेनरी फोर्ड हमेशा से ही सफल उद्योगपति नहीं थे।
उनकी शुरुआत असफलताओं और चुनौतियों से हुई थी| पहले उनकी 2 कम्पनियाँ शुरू होने के कुछ समय के अन्दर ही विफल हो चुकी थी। लेकिन इन असफलताओं ने उन्हें अपनी अगली और सफल कंपनी “फोर्ड मोटर्स” को शुरू करने से नहीं रोका। वे मोटरकार बनाने में असेंबली लाइन का प्रयोग करने वाले सबसे पहले उद्योगपति थे जिन्होंने कार उद्योग में क्रांति ला दी थी।
नेल्सन मंडेला

“अपने नसीब का मालिक मैं खुद हूँ – अपनी आत्मा का कप्तान मैं खुद हूँ!”
इसी वाक्य ने नेल्सन मंडेला को साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति के पद तक पहुँचाया। अपने आदर्शों और अन्याय के खिलाफ कभी हार न मानने के स्वभाव को ले कर नेल्सन मंडेला करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं| अगर उनके जीवन पर नजर डाले तो आपको एक लंबे समय तक किया गया संघर्ष नजर आएगा। राष्ट्रपति का पद का पाना उनके लिए आसान नहीं था। मंडेला ने करीब 27 साल तक संघर्ष किया और अपनी आधी जिंदगी उन्होंने जेल में गुजारी।
अब्राहम लिंकन
दृढ मनोबल किसे कहते है, उसे जानने के लिए हमें अब्राहम लिंकन के जीवन पर नजर डालनी चाहिए जो कि अमरिका के महानतम राष्ट्रपतियों में से एक माने जाते है। लेकिन राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने अनगिनत असफलताओं का सामना किया।
1832 में उन्होंने अपनी नौकरी गंवाई और विधान सभा का चुनाव हारे। अगले ही साल वे अपने बिजनेस में फ़ैल हुए। 1834 में फिर से चुनाव लड़ने पर विधान सभा का चुनाव जीत गए लेकिन 1835 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। 1836 में उन्होंने मानसिक हताशा की बीमारी का सामना किया। 1838 में वे Illinois House Speaker का चुनाव हारे। 1843 में कांग्रेस के नामिनेशन के लिए नहीं चुने गए| 1849 में उनका भूमि अधिकरण ख़ारिज कर दिया गया| 1854 में लिंकन सीनेट का चुनाव हार गये| 1856 में वे उपराष्ट्रपति के लिए नहीं चुने गए| 1858 में वे फिर से उपराष्ट्रपति का चुनाव हार गए|
लेकिन फिर भी 1860 में वे अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए| दुनिया में न के बराबर ऐसे नेता होंगे, जो इतने चुनाव हारने के बावजूद राष्ट्रपति के रूप सर्वोच्च पद के लिए चुने गए| अब्राहम लिंकन ने यह साबित किया है कि
आप तब तक नहीं हारते जब तक आप प्रयास करना नहीं छोड़ते
महान व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति में फर्क केवल उनकी सोच, नजरिये और विश्वास का होता है। महानता प्राप्त करने के लिए “कभी प्रयत्न न छोड़ने” की सोच जरुरी हैं। इन महान व्यक्तियों ने साबित किया हैं कि