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ये दर्द तो आँखों से हरबार झलकता है by deepweb

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· @deepweb ·
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ये दर्द तो आँखों से हरबार झलकता है
ये दर्द तो आँखों से हरबार झलकता है
वो दर्द की सूरत ही मरे दिल में उबलता है

दुनिया में रहो लेकिन दुनिया ना रहे दिल में
इन्सान के ग़म में जो आँखों से छलकता है

ज़हनों के मरासिम थे इक साथ भी हो जाते
जाये ना मगर दिल से एक प्यार निकलता है

आवाज़ समाअत तक पहुंची ही नहीं शायद
वो वर्ना तसल्ली को कुछ देर दहकता है

जब आईने में सूरत धुँदली सी दिखाई दे
फिर धूल की वादी से इन्सान दमकता है

इस मेरी ज़मीं पे अब यही दर्द कहानी है
कुछ क़िस्से हैं माज़ी के , कुछ लोग कड़कता है

इक रोज़ तो लूटेंगे वशमा तरी गलीयों में
आएँगे कसम से हम तिरा प्यार चमकता है
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